जिला कांग्रेस कमेटी भिलाई के प्रवक्ता जावेद खान ने छत्तीसगढ़ सरकार का 500 वर्गमीटर दर समाप्त करने के निर्णय को छोटे किसानों के खिलाफ बताया कांग्रेस ने जताया कड़ा विरोध
जिला कांग्रेस कमेटी भिलाई के प्रवक्ता जावेद खान ने छत्तीसगढ़ सरकार का 500 वर्गमीटर दर समाप्त करने के निर्णय को छोटे किसानों के खिलाफ बताया कांग्रेस ने जताया कड़ा विरोध
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा हाल ही में पारित किया गया वह निर्णय, जिसमें 500 वर्गमीटर तक की भूमि दर को समाप्त कर सम्पूर्ण रकबा की गणना हेक्टेयर दर से करने की बात कही गई है, छोटे और सीमांत किसानों के हितों के पूर्णतः विरुद्ध है। इस निर्णय से प्रदेश के लाखों छोटे भूमि धारकों को प्रत्यक्ष आर्थिक नुकसान होगा और भूमि अधिग्रहण के मामलों में न्यायसंगत मुआवजा प्राप्त करना और कठिन हो जाएगा। निर्णय की मुख्य आपत्तियाँ:
मुआवजा में असमानता:
पहले 500 वर्गमीटर (लगभग 12.5 डिस्मिल) तक के भूखंडों की अलग दर तय होती थी, जिससे छोटे किसानों को उनकी भूमि की वास्तविक बाज़ार कीमत के अनुसार मुआवजा मिलता था। अब यह दर समाप्त कर देने से हेक्टेयर के आधार पर मूल्य तय होगा, जिससे छोटे भूखंडों के मूल्य अनुचित रूप से कम हो जाएंगे।
छोटे किसान होंगे सबसे अधिक प्रभावित:
छत्तीसगढ़ के कृषि आधारित समाज में अधिकांश किसान सीमांत व छोटे भूमी धारक हैं। उनके लिए यह निर्णय उनके पारिवारिक जीवन, रोज़गार और आत्मनिर्भरता पर सीधा हमला है।
शहरी व औद्योगिक विस्तार के नाम पर शोषण:
भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में अब किसानों की सहमति व सुरक्षा कमज़ोर हो जाएगी, और सरकारी या निजी कंपनियों द्वारा कम मुआवजे में ज़मीन अधिग्रहण करना आसान हो जाएगा ।
कृषि संस्कृति पर आघात:
यह फैसला केवल आर्थिक नहीं बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अनुचित है। छत्तीसगढ़ की कृषि संस्कृति, ग्रामीण जीवन व पारंपरिक भूमि अधिकार प्रणाली को यह निर्णय गहरा नुकसान पहुंचा सकता है। कांग्रेस कमेटी मांग करती है कि 500 वर्गमीटर तक की दर को पूर्ववत लागू किया जाए। भूमि अधिग्रहण मामलों में छोटे किसानों के लिए विशेष संरक्षण प्रावधान लागू हों।
इस निर्णय को लागू करने से पहले जन सुनवाई एवं किसान संगठनों की सलाह अनिवार्य की जाए।
राज्य के सभी ज़िलों में ग्राम सभा की अनुमति को बाध्यकारी बनाया जाए।
हम प्रदेश सरकार से अपील करते हैं कि जनविरोधी किसान विरोधी निर्णय को वापस लिया जाए, और नीति निर्माण में जन भागीदारी को महत्व दिया जाए। अन्यथा किसान समुदाय के साथ कांग्रेस कमेटी अपने अधिकारों की रक्षा के लिए लोकतांत्रिक एवं शांतिपूर्ण संघर्ष करने के लिए बाध्य होगी।