“बिजली संकट से जूझ रही जनता पर दरों का डंडा — साय सरकार की बेपरवाह लूट”
जिला कांग्रेस कमेटी भिलाई के तेजतर्रार प्रवक्ता जावेद खान ने छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी द्वारा घरेलू बिजली दरों में वृद्धि पर कड़ा आक्रोश प्रकट करते हुए तीखा हमला बोला है।
उन्होंने कहा कि — “जिन शहरों में बिजली की आपूर्ति खुद वेंटिलेटर पर है, वहां दरें बढ़ाना जनता के ज़ख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है। राजधानी रायपुर से लेकर दुर्ग, भिलाई, राजनांदगांव और बिलासपुर तक बिजली की हालत बदतर है — और ग्रामीण इलाकों में तो स्थिति बिल्कुल अंधकारमय है। घंटों गुल रहने वाली बिजली, ट्रिपिंग, ओवरलोडिंग और स्मार्ट मीटर की मनमानी से जनता पहले ही त्रस्त है — अब इस पर दरों में वृद्धि कर साय सरकार ने साबित कर दिया है कि उसे जनता की तकलीफों से कोई सरोकार नहीं।”**
जावेद खान ने कहा कि साय सरकार बेशर्मी की सारी हदें पार कर चुकी है। दरें बढ़ाने का यह तर्क कि “केवल 20 पैसे प्रति यूनिट बढ़ाया गया है,” एक बड़ा छलावा है। हकीकत यह है कि गरीब की झोपड़ी में भी हर महीने 100 यूनिट से अधिक बिजली खर्च होती है — ऐसे में हर वर्ग को इस बोझ का सामना करना पड़ेगा।उन्होंने सवाल उठाया कि जब आप निर्बाध बिजली आपूर्ति नहीं कर पा रहे हैं, जब संधारण और ट्रांसफार्मरों की हालत खराब है, जब घंटों बिजली कटौती हो रही है — तो दरें बढ़ाने का नैतिक हक सरकार को किसने दिया?
खेती-किसानी का समय है, किसान सिंचाई के लिए बिजली पर निर्भर हैं — ऐसे समय में दरें बढ़ाकर किसानों की कमर तोड़ने का काम किया गया है। लगता है जैसे “महतारी वंदन योजना में दी गई 1000 रुपये की राशि बिजली बिल में वसूलने की योजना” बन चुकी है।
साय सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा —
“सरकार कहती है कि दरें 1 जुलाई से लागू होंगी, लेकिन 10 जुलाई तक जिन घरों में रीडिंग हो चुकी है, वहां भी बढ़ा हुआ बिल आ रहा है। ये सीधा विरोधाभास है और बिजली विभाग को इस पर तत्काल स्पष्टीकरण देना चाहिए।”
जाहिर है कि यह निर्णय पूरी तरह से जनविरोधी है, अमानवीय है और सरकार की असंवेदनशीलता को उजागर करता है। कांग्रेस पार्टी इस अन्यायपूर्ण निर्णय का विरोध करती है और आमजन के हित में इसके तत्काल rollback की माँग करती है।