भिलाई सहित देश के सार्वजनिक उपक्रमों के निक्कमें और लापरवाह अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ती के दायरे में लाया जाना चाहिए - ज्ञानचंद जैन

भारतीय इस्पात प्राधिकरण की कार्यशैली को निकम्मे अधिकारियों ने पिछले 15 वर्षों से पूरी तरह से बर्बाद कर दी है एक तरफ जहां केंद्र सरकार के अनपढ़ मंत्रियों को अपने नियंत्रण में लेकर इन अधिकारियों ने कार्य करने की शैली को बदल दिया है वहीं केंद्र और राज्य सरकार के राजस्व को भारी नुकसान पहुंचाने का भी काम किया है समझ से बाहर है कि आज जब इन अधिकारियों पर केंद्र सरकार ने अपनी गाज गिराई है तो इनको अपने अस्तित्व की लड़ाई समझ में आ रही है ।
स्टील सिटी चैंबर ऑफ़ कॉमर्स भिलाई के अध्यक्ष ज्ञानचंद जैन ने इस्पात मंत्री भारत शासन से आग्रह किया है कि हर उस निक्कमे अधिकारी को अनिवार्य सेवा निवृत्ति के दायरे में लेना जो पिछले 15 वर्षों से शासन हर सुविधा का लाभ तो उठा रहा है लेकिन न उत्पादन को बढ़ाने की दिशा में और ना क्षेत्र में रहने वाले नागरिकों की समस्याओं को सुलझाने में किसी तरह की दिलचस्पी रखते हैं ।
इन निक्कमे अधिकारियों का एकमात्र कार्य है कि एयर कंडीशनर कमरों में बैठ जाए और मीटिंग सीटिंग के नाम पर पूरा दिन अपने विभाग के अधिकारियों का समाप्त कर दे ना किसी शहर के डेवलपमेंट में इनकी सोच है और ना शहर के विकास में भागीदार बनना चाहते हैं जो व्यवस्था आज से 15 वर्ष पूर्व केंद्र सरकार ने अपने अधीनस्थ क्षेत्र में बनाई थी उन क्षेत्रों की स्थिति को अरबो रुपए खर्च करने के बाद भी सुधार नहीं पाए बल्कि और खंडहर का रूप इन अधिकारियों ने दे दिया है ।
भारतीय इस्पात प्राधिकरण के अधिकारियों की लापरवाही और संयंत्र के कार्यपालक अधिकारियों की निरंकुशता के कारण पिछले 15 – 16 वर्षों से एक और जहां अधीनस्थ क्षेत्र में रहने वाले नागरिक आर्थिक, शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना के दौर से गुजर रहे हैं वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार को मिलने वाला राजस्व भी रुक गया है इसका एकमात्र कारण भारतीय इस्पात प्राधिकरण एवं अधीनस्थ इस्पात संयंत्रों के लापरवाह निक्कमें अधिकारियों की कार्यशैली ही है ऐसी स्थिति में इन अधिकारियों को यदि केंद्र सरकार ने अनिवार्य सेवा निवृत्ति के दायरे में लाया है तो निश्चित रूप से केंद्र सरकार की सोच का स्वागत करना चाहिए ।
हां केंद्र सरकार के अधिकारियों को इन अधिकारियों की कार्यशैली को भी नजर अंदाज नहीं करना चाहिए ऐसे सभी अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति के दायरे में लाना चाहिए जिन्होंने अपने अधीनस्थ क्षेत्र में सिर्फ सार्वजनिक उपक्रम को नुकसान पहुंचाने का कार्य किया है ।
महारत्न कहे जाने वाले इस भारतीय इस्पात प्राधिकरण के सबसे सुंदर शहर भिलाई का हाल धीरे-धीरे खंडहर का रूप लेते जा रहा है शहर बर्बाद हो रहा है लंबी चौड़ी सड़क बनाई जा रही है लेकिन शहर की व्यवस्था और यहां रहने वाले नागरिकों को सुविधा देने की दिशा में भिलाई इस्पात संयंत्र के अधिकारी न सिर्फ लापरवाह बन गए हैं बल्कि इनको पालना हाथी को पालने की तरह हो गया है ।
भिलाई इस्पात संयंत्र में तो हर हाल में अनिवार्य सेवा निवृत्ति लागू की जानी चाहिए और यह सेवानिवृत्ति मुख्य कार्यपालक अधिकारी से लेकर प्रशासनिक कार्य करने वाले सहायक महाप्रबंधक स्तर तक के अधिकारियों पर तत्काल प्रभाव से लागू करना चाहिए ।
यदि केंद्र की सरकार ऐसे नियम तत्काल प्रभाव से लागू कर दे तो आने वाले समय में देश के सभी सार्वजनिक उपक्रमों को बचाया जा सकता है अन्यथा केंद्र की सरकार को इन सभी सार्वजनिक उपक्रमों को निजी हाथों में बेचने को मजबूर होना पड़ेगा क्योंकि केंद्र सरकार की नीतियां वर्तमान में इसी दिशा पर कार्य कर रही है ।
स्टील सिटी चैंबर ऑफ़ कॉमर्स भिलाई के अध्यक्ष ज्ञानचंद जैन ने इस्पात मंत्री प्रदेश के प्रधानमंत्री को इस आशय का एक पत्र पंजीकृत डाक के माध्यम से भेजा है ।