वैशाली नगर के लोकांगन में देर रात तक काव्य प्रेमी हंसी ठहाकों की महफ़िल से हुए सराबोर, अखिल भारतीय कवि सम्मेलन की ओपनिंग से क्लोजिंग तक देश के उम्दा कवियों ने बांधे रखा
भिलाई । वैशाली नगर लोकांगन में विजय दशमी पर्व पर आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में हजारों काव्य प्रेमी देर रात तक ठहाकों के साथ हास्य रस की धारा में गोते लगाते रहे। वैशाली नगर विधायक रिकेश सेन की मेजबानी में हुए इस हास्य कवि सम्मेलन में छत्तीसगढ़ के ख्यातिलब्ध मूर्धन्य कवि पद्मश्री डॉक्टर सुरेंद्र दुबे, मध्यप्रदेश इंदौर से गीत ग़ज़ल की उम्दा हस्ताक्षर डॉ. भुवन मोहिनी, उत्तर प्रदेश के वाराणसी से पधारे मशहूर हास्य रचनाकार अनिल चौबे, नई दिल्ली की हास्य विनोद से भरपूर गीत ग़ज़ल की फनकार डॉ. पद्मिनी शर्मा और हास्य तथा श्रृंगार रस के नवोदित कवि सूरज मणि ने मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित कर सम्मेलन का शुभारंभ किया।
हास्य व्यंग्य के इस अखिल भारतीय कवि सम्मेलन की कप्तानी करते हुए दुर्ग के कवि और सम्मेलन के संचालक डॉ सुरेंद्र दुबे ने छत्तीसगढ़ी भाषा में ठिठोली के साथ काव्य प्रेमियों को पधारें हुए कवियों का परिचय करवाया। नई दिल्ली के युवा कवि सूरज मणि ने कवि सम्मेलन की ओपनिंग करते हुए श्रृंगार रस के गीतों से भारत वर्ष की संस्कृति और परंपराओं से लेकर घर में पति पत्नी की नोंक झोंक और प्रोफेसर और स्टूडेंट्स के बीच बुद्धिमता को लेकर ऐसा संपुट बांधा की महफ़िल हंसी ठहाकों से गूंज उठी। इस बीच उन्होंने प्रयागराज से लेकर रायपुर के बीच सफर के दौरान छोटे छोटे हास्य के किस्सों से लोगों को गुदगुदाया। तभी नई दिल्ली से पधारीं डाक्टर पद्मिनी शर्मा और डॉ सुरेंद्र दुबे के बीच महिला और पुरूषों को लेकर शुरू हुए काव्यात्मक नोंक झोंक और वाद प्रतिवाद का लोगों ने जमकर लुत्फ उठाया।
पद्मिनी शर्मा द्वारा महिलाओं को लेकर गजल भी पढ़ी गई। काव्य प्रेमियों के बीच बैठे बुजुर्गों की ताड़ती आंखों को लेकर पद्मिनी ने उन्हें अनूप जलोटा की जैसे ही संज्ञा दी, उत्तर में पद्मश्री सुरेंद्र दुबे में कहा छत्तीसगढ़ के बुजुर्गो को वो कत्तई कमजोर समझने की भूल न करें। वाराणसी से पधारे अनिल चौबे ने अपनी हास्य कविताओं से सम्पूर्ण लोकांगन परिसर को बांधे रखा। अनिल चौबे ने कोरोना काल से लेकर चीन के जिंगपिंग तक अपने लतीफों को काव्य रूप में ढाल कर लोगों को ठहाके लगाने विवश कर दिया। उन्होंने कहा कि वो काशी विश्वनाथ की नगरी से शिवनाथ को मां गंगा का प्रणाम लेकर आए हैं। इंदौर से पधारीं डाक्टर भुवन मोहिनी ने अपनी श्रृंगार रस से लबरेज ग़ज़लों से शमां बांध दिया। उन्होंने भी पद्मश्री सुरेंद्र दुबे के कटाक्ष का अपनी कविताओं से जवाब दिया। डाक्टर सुरेंद्र दुबे ने विधायक रिकेश सेन द्वारा छत्तीसगढ़ की साहित्य और कला के लिए किए जा रहे उनके प्रयासों को सराहा। श्री सेन ने अंत में सभी कवियों का शाल श्रीफल और स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।