*यूथ हॉस्टल्स एसोसिएशन ऑफ इण्डिया भिलाई इकाई द्वारा एक दिवसीय एन्जॉय मानसून बाईक ट्रैकिंग सम्पन्न*
अंचल के विभिन्न पुरातात्त्विक एवं ऐतिहासिक स्थलों का सदस्यों ने किया अवलोकन*
भिलाई । यूथ हॉस्टल्स एसोसिएशन ऑफ इण्डिया भिलाई इकाई द्वारा एक दिवसीय एन्जॉय मानसून बाईक ट्रैकिंग का आयोजन किया गया । इस आयोजन में दुर्ग भिलाई सहित राजनांदगाँव एवं रायपुर के सदस्य भी शामिल हुए । सभी आयु वर्ग के कुल 42 स्त्री पुरुष सदस्यों ने हिस्सा लिया । ट्रैकिंग में सदस्यों ने कुल आठ पुरातात्त्विक एवं ऐतिहासिक महत्व के स्थलों का सैर किया । सभी स्थल छत्तीसगढ़ की समृद्ध धरोहर के परिचायक हैं ।
आयोजन के विषय में विस्तृत जानकारी देते हुए भिलाई इकाई के प्रेसिडेंट ऋषिकान्त तिवारी ने बताया कि सदस्य सर्वप्रथम दुर्ग भिलाई से 20 किमी दूर स्थित ओटेबंद गये । यहाँ ओटेबंद और सिरसिदा के बीच बगीचे में स्थित 65 साल पुराने मन्दिर में क्षीरसागर में भगवान विष्णु लक्ष्मी सहित शयनमुद्रा में विराजमान हैं । इस मन्दिर में विभिन्न ऋषियों मुनियों की मूर्तियाँ भी ध्यानाकर्षित करतीं हैं । मन्दिर की छत पर कैलास मानसरोवर की छवि मनमोहक है । यहाँ यूथ हॉस्टल्स सदस्य सुनील बुट्टे ने पाँच फीट लम्बे खतरनाक किंग कोबरा का रेस्क्यू कर उसे सुरक्षित स्थान पर छोड़ा , जिससे ग्रामीण कई दिनों से भयभीत थे । इसके बाद सदस्य गौरैय्या धाम चौरेल मन्दिर में उत्खनन से प्राप्त 132 पुरातात्त्विक प्रतिमाओं का अवलोकन किये । ये पाषाण प्रतिमाएँ आठवीं से बारहवीं शताब्दी के बीच की हैं ।
भिलाई इकाई चेयरमेन के. सुब्रमण्यम ने बताया कि तीसरे पड़ाव में सदस्य स्वयंभू हनुमान मन्दिर कमरौद का दर्शनलाभ लिये । उस दिन मन्दिर प्रांगण में सावन माह में भरने वाला वार्षिक मेला का भी आयोजन था इसलिए मन्दिर प्रांगण में बहुत ज्यादा रौनक और श्रद्धालुओं की आमद थी । जनश्रुति के अनुसार 400 साल पहले यहाँ के हनुमान जी स्वयं उद्भूत हैं । यह मन्दिर बहुत ही भव्य और दर्शनीय है । चौथा दर्शनीय स्थल कुकुरदेव मन्दिर मालीघोरी रहा । पुरातात्त्विक विभाग द्वारा संरक्षित यह मन्दिर एक स्वामिभक्त वफादार कुत्ते की ऐतिहासिक गाथा व्यक्त करती है । यह ऐतिहासिक स्थल मनुष्य का मनुष्येत्तर प्राणियों के साथ आदिकालिक सहसम्बन्धों को दर्शाता है । इतिहासकारों के अनुसार इस मन्दिर का निर्माण फणी नागवंशी शासकों द्वारा 14 -15 वीं शताब्दी में कराया गया था ।
वरिष्ठ सदस्य कमल साहू एवं ममता साहू ने बताया कि अगले पड़ाव में सदस्यों ने बालोद स्थित ग्यारहवीं शताब्दी में निर्मित कपिलेश्वर मन्दिर समूह का अवलोकन किया । प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर इस स्थानीय ऐतिहासिक वैभव को देखकर सदस्य अत्यन्त प्रसन्न हुए । यहाँ एक विशाल कुण्ड भी है , जिसका जल कभी नहीं सूखता । इसके बाद गंगा मइया मन्दिर झलमला का अवलोकन किया गया । जानकारी के अनुसार गंगा मइया का अवतरण स्थानीय तालाब से 130 साल पहले हुआ था ।
यूथ हॉस्टल्स राजनांदगाँव समन्वयक मिनेश मिश्रा , वरिष्ठ सदस्य किशोर छबलानी एवं करणसिंह पानेसर ने बताया कि पुरातात्त्विक एवं ऐतिहासिक स्थलों पर केन्द्रित इस ट्रैकिंग में सदस्यों ने महापाषाणीय स्मारक करकाभाट का भी अवलोकन किया । पाँच हजार साल पुरानी महापाषाणीय सभ्यता में यह आज एशिया का सबसे बड़ा स्मारक स्थल है । इस क्षेत्र में लगभग 25 वर्ग किमी में विस्तृत यह स्मारक पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित है । यह छत्तीसगढ़वासियों के लिए गौरव का विषय है ।
हरिशरणजीत कौर , मंजीत कौर , बलबीर कौर एवं इन्द्रजीत कौर ने संयुक्त रूप से बताया कि ट्रैकिंग का अन्तिम प्वॉइंट नारी अस्मिता की रक्षा का प्रतीक बहादुर कलारिन की माची , बहादुर कलारिन मन्दिर एवं छछानछाड़ू मन्दिर सोरर रहा । यह स्थल छत्तीसगढ़ पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित है । माँ बहादुर कलारिन के नाम से राज्य अलंकरण की भी घोषणा है । इसका इतिहास कलचुरी शासन काल से जुड़ा है । यह स्थल नारी वर्ग का शौर्य , त्याग , बलिदान और समर्पण का उद्घाटक है । बहादुर कलारिन जैसी त्यागमूर्ति नारी समूचे महिला समाज को महिमान्वित करती है । इस आयोजन में सभी स्थलों की आकर्षक फोटोग्राफी रूपेश साहू के सौजन्य से सम्भव हुआ । ट्रैक भिलाई इकाई सचिव सुबोध देवाँगन एवं चेयरमेन के. सुब्रमण्यम ने तैयार किया था । खानपान एवं चाय नाश्ते की उत्तम व्यवस्था प्रेसिडेंट ऋषिकान्त तिवारी के नेतृत्व में सफल रहा ।
आयोजन में जयप्रकाश साव , भारती साव , अंशुल देवाँगन , प्रिया जांगड़े , सतानन्द तिवारी , के. श्रीराम , के. पी. कृष्णन , हरदेव सिंह गिल , योगेन्द्र वर्मा , सुनील बुट्टे , केसर बुट्टे , निखिल त्रिपाठी , काशवी त्रिपाठी , राजश्री श्रृंगारपुरे , राजेश मराठे , शिल्पा मराठे , समता मिश्रा , आलोक दुबे , आदित्य , शिल्पा यादव , पल्लवी मेश्राम , अनिता अमेला , रामबाबू गुप्ता , सजत खेत्रपाल , नेहा खेत्रपाल , लिगेन्द्र वर्मा , कोटेश्वर राव , गोपी यादव एवं रश्मि ठाकुर की सराहनीय भागीदारी रही ।