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भिलाई महिला समाज ने सांस्कृतिक रंगारंग कार्यक्रमों के साथ मनाया 68 वां स्थापना दिवस

भिलाई की प्रमुख महिला संस्थाओं में अग्रणी भिलाई महिला समाज (बीएमएस) ने 04 अगस्त 2025 को महात्मा गांधी कला मंदिर, सिविक सेंटर में हर्षोल्लास के साथ अपना 68 वां स्थापना दिवस मनाया। कार्यक्रम में विविध सांस्कृतिक प्रस्तुतियों और संगठन की गौरवपूर्ण 68 वर्षीय यात्रा पर भावपूर्ण स्मरण के साथ समाजसेवा, महिला सशक्तिकरण और सामुदायिक पहलों में इसके योगदान को रेखांकित किया गया।

कार्यक्रम की मुख्य अतिथि के रूप में इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ की कुलपति प्रो. (डॉ.) लवली शर्मा की गरिमामय उपस्थिती रही। विशेष अतिथियों में भिलाई महिला समाज की उपाध्यक्ष श्रीमती प्रणोती मुखोपाध्याय, श्रीमती मोली चक्रवर्ती, श्रीमती छवि निगम, श्रीमती आशा रानी, श्रीमती स्मिता गिरि, श्रीमती पूनम कुमार एवं श्रीमती रेणुका रवींद्रनाथ उपस्थित रहीं।

कार्यक्रम का शुभारंभ पारंपरिक दीप प्रज्वलन से हुआ। तत्पश्चात मुख्य अतिथि एवं गणमान्यजनों द्वारा वार्षिक स्मारिका का विमोचन किया गया तथा भिलाई महिला समाज की 68 वर्ष की यात्रा पर आधारित लघु फिल्म प्रदर्शित की गई। इस अवसर पर भिलाई महिला समाज की सभी पदाधिकारी, महासचिव श्रीमती सोनाली रथ, सह-सचिव श्रीमती दीपान्विता पॉल, कोषाध्यक्ष श्रीमती शिखा जैन, सह-कोषाध्यक्ष श्रीमती रीता तिवारी सहित विभिन्न क्लबों एवं इकाइयों की सदस्याएँ एवं कर्मचारी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। इसके अतिरिक्त राजहरा माईन्स से भी महिला सदस्यगण कार्यक्रम में सम्मिलित हुई।

मुख्य अतिथि प्रो. डॉ. लवली शर्मा ने अपने संबोधन में भिलाई महिला समाज को उसके 68 वें स्थापना दिवस पर हार्दिक बधाई दी और कहा कि यह उनके जीवन का पहला ऐसा आयोजन है, जिसमें उन्होंने इतनी बड़ी संख्या में महिलाओं को एक साथ देखा है। उन्होंने इसे अनूठा, सुंदर और विविध रूपों में शक्ति से परिपूर्ण बताया।

डॉ. शर्मा ने कहा कि महिलाएँ, चाहे वे कार्यरत हों या गृहिणी, प्रायः अपनी जिम्मेदारियों में इतनी गहराई से संलग्न रहती हैं कि स्वयं के लिए समय ही नहीं निकाल पातीं। ऐसे में इस प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम समय-समय पर आयोजित किए जाने चाहिए, क्योंकि ये न केवल जीवन को समृद्ध करते हैं बल्कि आत्मा को भी ऊर्जा और आनंद प्रदान करते हैं।

उन्होंने कहा कि महिलाएँ स्वभावतः सशक्त और समर्थ होती हैं और यदि वे दृढ़संकल्पित हों तो वे न केवल अपने और अपने परिवार, बल्कि पूरे राष्ट्र के उत्थान में भी महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकती हैं। डॉ. शर्मा ने भिलाई महिला समाज की सभी सदस्याओं से आह्वान किया कि वे अपनी जिम्मेदारियों को पूर्ण निष्ठा और ईमानदारी के साथ निभाएँ और राष्ट्र के सर्वांगीण कल्याण में सक्रिय भागीदारी करें।

उपाध्यक्ष श्रीमती स्मिता गिरि ने अपने उद्बोधन में कहा कि भिलाई महिला समाज ने सदैव सेवा, निष्ठा और आत्मनिर्भरता को अपने कार्यों का केंद्र बनाया है। यह संस्था महिलाओं को नेतृत्व और सामाजिक संवेदनशीलता के अवसर प्रदान करती रही है। उन्होंने 1970 के दशक का स्मरण करते हुए बताया कि आचार्य विनोबा भावे और मदर टेरेसा ने भिलाई महिला समाज की गतिविधियों का अवलोकन किया था, और विनोबा भावे ने भावविभोर होकर कहा था कि बीएसपी वास्तव में ‘भलाई’ इस्पात संयंत्र है। श्रीमती गिरि ने संयंत्र प्रबंधन के सतत सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया।

स्थापना दिवस समारोह की विशेषता रही श्रीमती नलिनी श्रीवास्तव ट्रॉफी की घोषणा, जो संस्थापक अध्यक्ष की स्मृति में प्रतिवर्ष सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले क्लब को प्रदान की जाती है। ज्ञातव्य है कि 04 अगस्त 1957 को श्रीमती नलिनी श्रीवास्तव ने 50 समर्पित सदस्याओं के साथ भिलाई महिला समाज की स्थापना की थी। इस वर्ष यह ट्रॉफी दो क्लबों सेक्टर-5 क्लब तथा सेक्टर-10 ए क्लब ने संयुक्त रूप से जीतीं।

कार्यक्रम में सांकृतिक आकर्षण के रूप में शास्त्रीय एवं लोक नृत्य, देशभक्ति नृत्य, समूहगान, नृत्य-नाटिका और संगीतमय प्रस्तुतियों ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। इन प्रस्तुतियों में भिलाई महिला समाज की विभिन्न इकाइयों एवं क्लबों की सदस्याओं ने भाग लिया, जिससे संस्था की गहरी सांस्कृतिक जड़ें परिलक्षित हुईं।

कार्यक्रम के प्रारंभ में श्रीमती छवि निगम द्वारा कुलपति प्रो. डॉ. लवली शर्मा के जीवन-वृत्त का परिचय दिया गया। वह एक अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सितार वादक, संगीतशास्त्री, संगीत-चिकित्सक एवं शिक्षाविद हैं और डी. लिट. उपाधि प्राप्त करने वाली भारत की प्रथम महिला सितार वादक हैं।

महासचिव श्रीमती सोनाली रथ ने वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत कर पिछले वर्ष की गतिविधियों एवं उपलब्धियों की जानकारी दी। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती उत्तरा मिश्रा एवं श्रीमती आशा राय ने किया तथा कोषाध्यक्ष श्रीमती शिखा जैन ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।

 

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