भिलाई - दुर्ग

पद्मश्री स्व. डॉ. सुरेन्द्र दुबे को काव्यांजलि का आयोजन संयंत्र बिरादरी ने दी श्रद्धांजलि

भिलाई इस्पात संयंत्र के राजभाषा विभाग द्वारा 08 जुलाई 2025 को मानव संसाधन विकास केन्द्र के मिनी असेंबली हॉल में छत्तीसगढ़ के अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कवि, पद्मश्री स्व. डॉ. सुरेन्द्र दुबे को कार्यक्रम ‘काव्यांजलि’ का आयोजन कर काव्यमय श्रद्धांजलि अर्पित की गई। कार्यक्रम में भिलाई इस्पात संयंत्र के कार्यपालक निदेशक (मानव संसाधन) श्री पवन कुमार, मुख्य महाप्रबंधक (मानव संसाधन) श्री संदीप माथुर उपस्थित थे।
श्री पवन कुमार ने कहा कि कवियों की वैचारिक क्षमता आम लोगों से कुछ अलग ही होती है। पद्मश्री स्व. डॉ. सुरेन्द्र दुबे ने अपने विशेष दृष्टिकोण से अपनी प्रत्येक प्रस्तुति में एक सृजनशील, विवेकवान सचेतक के रूप में उन्होंने समाज को जागृत रखने का सदैव प्रयास किया, इसी बहाने हमें उन्होंने हँसाया भी और कई बार चिंतन-मनन करने पर मजबूर भी किया। सामाजिक चेतना की दिशा में भी उनका योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकेगा।
कलाकार अपनी कृतियों के रूप में सदैव जीवित रहते हैं, कला बिरादरी के बीच और अपने प्रशंसकों के हृदय में हमेशा-हमेशा के लिए अमर होते हैं। आज पद्मश्री स्व. डॉ. सुरेन्द्र दुबे भौतिक रूप में हमारे बीच भले ही नहीं हैं किंतु उनकी स्मृतियाँ सदैव हमारे साथ रहेंगी और अपनी रचनाओं के माध्यम से वे सदैव ही हमारे बीच रहेंगे।
साहित्य के क्षेत्र में डॉ. सुरेन्द्र दुबे का योगदान सदैव ही अविस्मरणीय रहेगा। उन्होंने सहज एवं सरल छत्तीसगढ़ी एवं हिंदी भाषा में साहित्य सृजन कर हिंदी के साथ ही साथ छत्तीसगढ़ी काव्य को भी अंतरराष्ट्रीय मंचों तक पहुँचाया। उन्होंने आजीवन साहित्य साधना की, कला एवं साहित्य बिरादरी उनके योगदान को कभी भी भुला नहीं सकती।
कार्यक्रम के आरंभ में अपने उद्बोधन प्रस्तुत करते हुए महाप्रबंधक (संपर्क व प्रशासन एवं जनसंपर्क) श्री अमूल्य प्रियदर्शी ने कहा कि पद्मश्री स्व. डॉ. सुरेन्द्र दुबे ने अपनी रचनाओं के माध्यम से सदैव ही आम जन के हृदय को छुआ। उनकी भाषा एवं शैली हमेशा ही ज़मीन से जुड़ी होती थी, सामाजिक विसंगतियों एवं व्यवस्था पर उनकी पैनी निगाह रहती थी जिन पर केन्द्रित रचनाओं से वे श्रोताओं को प्रभावित कर जाते थे।

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